राहू और केतू नवम्बर १५, २०१० से लेकर फरवरी ४, २०११ तक धीमी गति से ८ अंश पर रहेंगे. राहू और केतु सभी लग्नों के लिए नुक्सानदायक ग्रह माने जाते हैं. इस चाल का विपरीत प्रभाव उन सभी लोगों (और देशों) पर पड़ेगा जिनकी जन्मपत्री में लग्न राशि ८ अंश से ५ अंश के अंदर पड़ेगी. अर्थात वो सभी जन्मपत्रियां जिनमे लग्न का अंश २ अंश और १३ अंश के बीच होगा.लग्न का अंश ७ अंश से जितना नज़दीक होगा उतना ही बुरा प्रभाव भी अधिक होगा.
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हर पत्री अलग होती है अतः हर व्यक्ति पर अलग प्रभाव होगा लेकिन इतना कहा जा सकता है की अगर आपकी पत्री का लग्न २ और १३ अंश के बीच में हुआ तो जीवन के कई क्षेत्रों में आप तनाव और मुश्किलें महसूस कर सकते हैं. अगर बुरे ग्रहों की दशा/अंतर्दशा चल रही हो तो बुरा प्रभाव विशेष रूप से दिखाई देगा. उसी तरह यदि अच्छे ग्रहों की दशा/अंतर्दशा में बुरा प्रभाव कम या नहीं के रूप में दिखाई देगा. उसी प्रकार यदि कुंडली में कोई कमज़ोर ग्रह ८ अंश के आसपास हो और राहू/केतु उस ग्रह के ऊपर से गुजर रहें हो या उस ग्रह पर दृष्टी डाल रहे हों तो उस ग्रह से सम्बंधित चीजों पर बुरा प्रभाव डालेंगे ही.
Translation:
Rahu and Ketu will be transiting at 8 degrees from November 15th to February 2011. Rahu/Ketu are malefic planets for all ascendants. This will have bad influence on all those whose ascendant's rising degree falls within 5 degrees of 8 degree. i.e., Those with rising degree of ascendant within 2 to 13 degrees. Closer it is to 8 degrees, worse the influence.
All charts are different so the influence will be different. But it can be safely said that affected people will face stress and problems in different areas of life. If you are running a main/sub period of weak planets bad influence shall be enhanced and similarly if you are running main/sub period of strong planets, bad effect will be less. Similarly if any planet in natal chart is at 8 degrees and Rahu/Ketu are transiting over that planet or are having an aspect on that planet the general and particular significations of that planet will suffer.